Friday, 22 July 2016

ऊना चलो
नगर निगम के तीन चुनाव जीते पर पिछला चुनाव हारे इतवारी लाल बहुत परेशान हैं.
उनकी पत्नी ने ऊना जाने की रट लगा रखी है, ‘किसी हिल-स्टेशन जाने के लिए नहीं कह रही. देश की सेवा करने के लिए कह रही हूँ. देश सेवा से तो तुम इतना कतराते हो. इसी लिये चुनाव नहीं जीत पाये. राहुल गांधी और केजरीवाल ऊना गए कि नहीं गए? अभी देखना बीसियों और नेता भी जा पहुंचेंगे वहां. सब का नाम होगा, टीवी में चर्चा होगी, समाचार पत्रों में उन सब के फोटो छपेंगे. अत्याचार से पीड़ित लोग भी समझेंगे कि कोई है जो उनकी परवाह करता है. यही अवसर होता है जब आप लोगों को दिखा सकते हो कि आप को उनकी कितनी फ़िक्र है, आप उनको लेकर कितने चिंतित हो; और तुम हो कि बस यहीं टिके हो.’
इसके पहले कि इतवारी लाल कुछ कहते उनके बड़े बेटे ने कहा, ‘आप अगर गए तो हम भी साथ जायेंगे. इतने दिनों से हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. बनवारी लाल जी तो अपने बेटों को स्विट्ज़रलैंड भी घुमा लाये हैं.’
‘अरे मैं चुनाव जीता था क्योंकि मैंने लोगों के लिए कुछ कर के दिखाया था,’
‘तो पिछला चुनाव हारे क्यों? रामकली को उसके शराबी पति ने कितना मारा था, चुनाव के बीस दिन पहले की बात थी. मैंने तब भी तुम से कहा था कि ज़रा दस-बीस लोगों को लेकर उसके घर जाओ. थोड़ा हंगामा करो. सुनहरा अवसर था........’
‘कौन रामकली?’
‘हमारी बाई. अब तुम्हे इतना भी पता नहीं तो ....’
‘यह तुम क्या बोलती रहती हो, राजनीति में ......’
‘राजनीति तुम्हें आती होती तो यह हालत न होती तुम्हारी. ढाई कमरे के फ्लैट में कितने राजनेता रहते हैं? तुम तो तीन बार नगर निगम के सदस्य रह चुके हो. बनवारी लाल अभी पहली बार चुनाव जीता है, मॉडल टाउन में हजार गज़ का तीन मंज़िल्ला मकान बना लिया है. चार कारें हैं, हर एक के लिए अलग. पत्नी को अभी से राजनीति में जोड़ लिया है.’
तभी बेटे ने चिल्ला कर कहा, ‘पापा, आप सोचते रहिये, कुछ करिये मत. यहाँ टीवी पर देखें, बनवारी लाल ऊना पहुँच भी गये, उनकी पत्नी और दोनों बेटे भी साथ में हैं, हर चैनल पर उनकी ही चर्चा हो रही है. नगरनिगम का अगला चुनाव भी हाथ से गया लगता है. अब ऐसी घटना दुबारा कब हो, पता भी नहीं. आप तो शायद तब भी न जाएँ.’
इतवारी लाल जी असमंजस में हैं. पत्नी और बेटे ने ‘ऊना चलो’ को ऐसा राग छेड़ा था कि वह कुछ समझ ही न पा रहे हैं कि क्या करें.  


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