Monday, 1 August 2016

ट्रैफिक जाम
कल था सड़कों पर भयंकर जाम
क्योंकि
बारिश नहीं ले रही थी रुकने का नाम.
हर जगह था पानी इकट्ठा
रास्ता हो या गड्ढा. 
फंसे रहे थे हम रात भर
गाड़ियों की भीड़ में.
कोसते अपने को और उनको
जिनको वोट दिए थे अपने.
आज फिर फंसें हैं
हम गाड़ियों की भीड़ में.
नहीं साहिब,
आज रास्तों और गड्ढों में
नहीं भरा पानी. 
आज उतर आये हैं
सड़कों पर 
वह लोग जिन्हें
वोट नहीं दिए थे अपने.
वह सब हो रहे हैं
हमारी परेशानियों से परेशान
वह सब चिल्ला रहे हैं,
जब तक
‘सडकों पर लगते रहेंगे जाम
तब तक
चैन से न बैठेंगे,
उतर आयेंगे सड़कों
पर सुबह हो या शाम’.
हम समझ नहीं पा रहे,
कब से फंसें हैं
और कब तक फंसे रहेंगे

गाड़ियों की भीड़ में. 

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