Saturday, 22 December 2018


लघुकथा-तीन
‘बेटा, थोड़ा तेज़ चला. आगे क्रासिंग पर बत्ती अभी हरी है, रैड  हो गयी तो दो-तीन मिनट यहीं लग जायेंगे.’
‘मम्मी, मेरे पास लाइसेंस भी नहीं है. कुछ गड़बड़ हो गयी.....’
‘अरे तुम समझते नहीं हो, हमारी किट्टी में रूल है की जो भी पाँच मिनट लेट होगा उसे गिफ्ट नहीं मिलेगा.’   
‘तो पहले निकलना था न, सजने-सवरने में तो.......’
‘बहस मत करो और कार चलाओ.’
और श्रीमती जी सिर्फ दो मिनट देरी से पहुँची, हालाँकि उनके सोलह वर्षीय बेटे ने कार चालते समय तीन जगह रैड लाइट की अनदेखी की.
पर वह प्रसन्न थी, किट्टी में आज बहुत ही विशेष उपहार मिलने वाला था.
श्रीमती जी ने उपहार ग्रहण किया ही था कि फोन की घंटी बजी. किसी ने बताया कि उनकी कार की दुर्घटना हो गयी थी. बेटे ने फिर ट्रैफिक लाइट की अनदेखी की थी.

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