Friday, 21 December 2018


लघुकथा-दो
उस युवक का इतना ही दोष था कि उसने उन दो बदमाशों को एक महिला के साथ छेड़छाड़ करने से रोका था. वह उस महिला को जानता तक नहीं था, बस यूँही, किसी उत्तेजनावश, वह बदमाशों से उलझ पड़ा था.
भरे बाज़ार में उन बदमाशों ने उस युवक पर हमला कर दिया था. एक बदमाश के हाथ में बड़ा सा चाक़ू था, दूसरे के हाथ में लोहे की छड़.
युवक ने सहायता के लिये पुकारा. बाज़ार में सैंकड़ों लोग थे पर आश्चर्य की बात है कि कोई भी उसकी पुकार सुन न पाया. अगर किसी ने सुनी भी तो उसकी सहायता करने का विचार उसके मन में नहीं आया. या शायद किसी में इतना साहस ही नहीं था कि उसकी सहायता करता.
अचानक कुछ लड़के-लड़कियां घटनास्थल की ओर दौड़ चले. अब कई लोगों ने साहस कर उस ओर देखा. उत्सुकता से उन की साँसे थम गईं.
लड़के-लड़कियों ने बदमाशों को घेर लिया और झटपट अपने मोबाइल फोन निकाल कर वीडियो बनाने लगे. पर एक लड़की के  फोन ने काम करना बंद कर दिया. उसे समझ न आया कि वह क्या करे. हार कर उसने एक बदमाश से कहा, ‘भैया, ज़रा एक मिनट रुकना. मेरा फोन नहीं चल रहा, इसे ठीक कर लूँ. मैं भी वीडियो बनाना चाहती हूँ.’
तभी घायल युवक निर्जीव सा धरती पर लुढ़क गया.

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