Saturday, 16 February 2019


चीन का लक्ष्य-भारत की अगली सरकार, मजबूर सरकार
अपने पिछले लेख “मतदातों से एक निवेदन-अगली सरकार मज़बूतसरकार” में मैंने आशंका व्यक्त की थी कि हमारा कोई पड़ोसी देश नहीं चाहेगा कि भारत एक शक्तिशाली देश बने.
आज के ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में ‘ब्रह्मा चेलानी’ ने लिखा है कि नेपाल की राजनीति में चीन के हस्तक्षेप के कारण वहां ऐसी सरकार बनी जिसका झुकाव चीन के प्रति है. अपनी इस सफलता से उत्साहित हो कर अब चीन का लक्ष्य है कि अगले चुनाव के बाद भारत में एक मजबूर और बेढंगी (weak and unwieldy government) सरकार बने.
चीन भारत की राजनीति और चुनावी प्रणाली में दखल करना चाहता है, इस बात का अंदेशा तो तब ही हो गया था जब यह समाचार बाहर आया था कि श्री राहुल गांधी चीन के अधिकारियों से गुपचुप मुलाकातें करते रहे थे. जैसा की अपेक्षा थी मीडिया ने इस बात की अधिक चर्चा नहीं की. सरकार ने भी गंभीरता से इस बात को लोगों के सामने नहीं रखा.
चीन हमेशा से पाक-समर्थक रहा है. पाकिस्तान के पास जो सैनिक शक्ति है उसके पीछे चीन का बहुत बड़ा योगदान है. हालाँकि चीन अपने देश में इस्लामिक कट्टरवाद को बुरी तरह कुचल डालता है, लेकिन मसूद अज़हर को पूरा समर्थन देता है. आतंकवाद रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव डालना तो दूर, इस बात की पूरी संभावना है कि चीनी अधिकारी पाक-आतंकवादियों को कठपुतिलयों समान अपने इशारों पर चलाते हों.
एक समय जॉर्ज फेर्नान्देस ने कहा था कि हमारा शत्रु पाकिस्तान नहीं चीन है, बिलकुल सत्य है. हम देशवासी अरबों-खरबों  डॉलर का चीनी सामान खरीद कर उन्हें सम्पन्न बना रहे हैं, पर चीन का रुख हमारे प्रति बिलकुल भी अनुकूल नहीं रहा. अभी कुछ दिन पहले जब प्रधान मंत्री अरुणाचल गये थे तो चीन ने इस बात पर आपत्ति उठाने में एक दिन भी न लगाया था.
सब राजनेताओं का अपना एक एजेंडा है. अधिकतर राजनेताओं का मुख्य उद्देश्य किसी भी कीमत पर सत्ता पाना और सत्ता नें बने रहना है. पर हमें तो चौकस रहना पड़ेगा, अपने शत्रुओं से चाहे वह देश के भीतर हों या बाहर. इसलिये उन सब लोगों के विरुद्ध आवाज़ उठायें जो देश को तोड़ देना चाहते हैं या बेच डालना चाहते हैं. और ध्यान रखें अगली सरकार मजबूर या बेढंगी न हो. यह हम सब पर निर्भर करता है.

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