Saturday, 9 October 2021

 

न्याय हुआ

वह चौदह वर्ष की सज़ा काट रहा था. परन्तु आठ साल की सज़ा भोगने के बाद अचानक एक दिन उसे रिहा कर दिया गया.

“अभी छह साल की सज़ा तो बाकी है .......” उसने डरते-डरते जेल के अधिकारी से पूछा.

“तुम्हारी बेटी का हत्यारा पकड़ा गया है. उसे मृत्युदंड मिला है.”

“मेरी बेटी का हत्यारा? तो मैं कौन हूँ?”

“नहीं. तुम ने पुलिस को झूठा ब्यान दिया था.”

“मैंने झूठा ब्यान दिया था? मैंने तो कोई ब्यान दिया ही नहीं था.”

“अगर तुमने ब्यान नहीं दिया था तो अदालत को बताया क्यों नहीं?” अधिकारी ने खीजते हुए कहा. “अदालत ने तुम्हारे ब्यान पर ही तुम्हें दोषी पाया था.”

“मैं तो हर किसी से कह रहा था कि मैंने बेटी की हत्या नहीं की थी. पर मेरी बात न तो पुलिस ने सुनी...........”

“........मुझ से बहस करने का क्या अर्थ है....अजीब इंसान हो, आज न्याय हुआ है तो खुश होने के बजाय तुम बिलबिला रहे हो. चुपचाप निकलो यहाँ से.... कहीं ऐसा न हो कि पुलिस तुम पर एक नया केस कर दे....अदालत में झूठा ब्यान देने के लिए.”

इतना कह कर अधिकारी ने एक ओर खड़े दो लोगों को संकेत किया और उन्होंने धकेल कर उसे जेल से बाहर कर दिया.

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