सीएए पार्ट 2
सरकार ने एक कानून बनाया था जिस के अंतर्गत पाकिस्तान वगैरह से आये
हिन्दुओं, सिखों वगैरह को भारत की
नागरिकता दी जा सकती है. यह वह लोग हैं जो अपने देशों में अल्प-संख्यक थे और जो धार्मिक
उत्पीड़न के कारण उन देशों से भाग कर भारत
आये हैं. इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता कर एक आंदोलन शुरू हुआ. इसके समर्थन में लेफ्ट
लिबरल लोग और कई राजनीतिक पार्टियाँ खुल कर सामने आईं. किस प्रकार के नारे लगे और
किस प्रकार लोगों को भड़काया गया वह सब ने देखा.
अब हिजाब को लेकर एक आंदोलन शुरू हो गया जो एक नगर से शुरू हो कर कई
नगरों में फ़ैल रहा है. हिजाब पहनने की हिदायत नई नहीं है, पर अपनी मर्ज़ी से हिजाब पहनने
का मुद्दा २०२२ में बना. ऐसे में परदे के पीछे छिपे लोगों की नियत पर संदेह होना
अनिवार्य है.
क्या इस आंदोलन को सीएए
पार्ट 2 आंदोलन नहीं कहा जा सकता?
इस बार भी, जैसा पिछली बार हुआ था, लेफ्ट-लिबरल लोग और राजनेता और
देश-विदेश के बुद्धिजीवी इस आंदोलन में कूद पड़ेंगे.
आज नहीं तो कल यह आंदोलन समाप्त हो जाएगा. पर क्या अब इस बात की पूरी
संभावना नहीं है कि निकट भविष्य में सीएए पार्ट 3, फिर सीएए पार्ट 4 भी हो? ऐसे
आंदोलन शुरू करने के लिए क्या मुद्दों की कोई कमी है इस देश में?
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