ओम पूरी ने अगर कहीं ओर जन्म लिया होता?
गोविन्द निहालनी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘आक्रोश’ देखकर मैं आश्चर्यचकित
हो गया था. सबसे चौंकाने वाला था ओम पूरी का अभिनय; लगभग सारी फिल्म में ओम पूरी का
एक भी डायलाग नहीं है पर इसके बावजूद उनका अभिनय देखने वाले को झकझोड़ देता है.
उस दिन मन में एक प्रश्न उठा, ‘क्या और अभिनेता है जो ऐसा अभिनय करने की क्षमता रखता है?’ आज भी जब
उस किरदार के विषय में सोचता हूँ तो वह प्रश्न सामने खड़ा हो जाता है.
ओम पूरी ने अभिनय करने की अपनी विलक्षण प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन कई
फिल्मों में किया. ‘अर्ध सत्य’ का अनंत वेलेंकर और ‘जाने भी दो यारो’ का आहूजा ऐसे
ही दो यादगार किरदार हैं जिन्हें ओम पूरी ने बड़ी सफलता के साथ निभाया था और देखने
वालों को मंत्रमुग्ध कर दिया था.
पर ओम पूरी कभी सुपर स्टार नहीं बन पाये. उन्हें लोगों ने कभी भी उतना
सम्मान नहीं दिया जितना वह उन सुपर स्टारों को देतें हैं जिन में अभिनय करने की
क्षमता बहुत सीमित है. अगर ओम पूरी जी ने किसी और देश में जन्म लिया होता तो वह
अपनी इस प्रतिभा के कारण कब के एक सुपर स्टार बन गए होते. ओम पूरी किसी भी तरह Robert
De Niro या Al Pacino से कम योग्य नहीं थे पर ओम पूरी को अपने देश
में वैसा स्थान कभी नहीं मिला जैसा उन दो कलाकारों को अपने देश में मिला है.
यह विचार करने की बात है कि हम अकसर अतिसामान्य लोगों को सर आँखों पर बैठा
लेते हैं और प्रतिभाशाली लोगों की अवहेलना कर देते हैं. आडम्बर हमें सम्मोहित कर
देता है और सादगी का हम अपमान कर देते हैं. अपराधियों को हम सत्ता सौंप देते हैं
और सीधे-सच्चे लोगों को पीछे धकेले देते हैं. ईमानदारी हमें कष्टकारक लगती है झूठ
का रास्ता हमें सरल लगता है.
जिस समाज के लिए सत्य सिर्फ एक नारा भर हो उस समाज में प्रतिभा को रास्ते
में खड़े हो कर बिकना ही होगा, सम्मानित तो बस वह होगा जिस के पास प्रतिभा का मोल
लगाने का सामर्थ्य होगा.
Om Puri was such an incredible actor.His talents, I think, remained unexplored...
ReplyDeletethanks Maniparna for stopping by
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