फट्टा कुरता
नेता जी ने अपना फट्टा हुआ कुरता दिखा कर जनसभा में आये लोगों से कहा, ‘जो नेता
लाखों रुपये के सूट पहनते हैं वह कैसे जान पायेंगे कि ग़रीब आदमी का दर्द क्या होता
है. ऐसे ही लोगों के बारे में ही कहा गया था कि बन्दर न जाने जिंजर का स्वाद. मुझ
से पूछिये कि गरीबी क्या होती है. जेब में एक रूपया भी नहीं है. फिर भी मैं आपके
बीच खड़ा, मेरा फट्टा कुरता ही गरीबों के लिए मेरी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
‘वर्षों से हम देश सेवा में लगे हैं पर हमारे पास दो कमरों का एक छोटा सा
अपना घर भी नहीं है. सरकारी बँगलें में रहते हैं और शायद जीवन भर सरकारी बँगलें
में रहना पड़ेगा. परन्तु अपने देश के ग़रीबों के लिए हम यह कष्ट भी ख़ुशी-ख़ुशी उठा लेंगे.
‘आप विश्वास नहीं करेंगे. पर सत्य यही है कि एक गाड़ी भी नहीं हमारे पास. हर
समय सरकारी गाड़ियों में यहाँ-वहां घूमना होता है. बहुत दिक्कत होती है. पर यह
मुसीबत भी झेल लेंगे.
‘और एक बात मैं आप सब को बताना चाहता हूँ. बचपन से ही हमने गरीबी की बहुत करीब
से देखा है. हमारे सारे ड्राइवर बहुत गरीब
थे. हमारे सारे माली भी गरीब थे. हमारी आया भी गरीब थीं. घर में कितने ही नौकर-चाकर
थे पर सब के सब गरीब थे. एक भी अमीर नहीं था. उनको देख कर ही हम समझ गए थे कि गरीबी क्या चीज़ है. गरीब आदमी का
जीवन कैसा होता है हम भली-भांति जानते हैं.
‘मैं इतनी बार विदेश गया हूँ कि अब पता भी नहीं. पर कभी भी अपने देश के
गरीब भाइयों को मैं भुला न पाया. मैंने अपना जन्मदिन भी मनाया तो गरीब लोगों को
याद कर के ही मनाया. मैं कहीं भी रहा, कैसे भी रहा पर मेरे दिल में सदा मेरे गरीब
भाई ही थे.
‘जो नेता दिन में बार-बार सूट बदलते हैं उन्हें समझना चाहिए कि इस देश का गरीब
आदमी सारी ज़िन्दगी एक ही जोड़े में बिता देता है, फट्टे हुए कपड़ों में बिता देता
है. ग़रीबों की जेबें खाली होती हैं, फट्टी हुई होती हैं.......’
नेता जी अभी बहुत कुछ कहना चाह रहे थे पर तभी किसी ने धीमे से कान में कहा,
‘.....चलना..... फ्लाइट......पार्टी.......जायेगी.’ नेता जी अपने-आप से संतुष्ट जनसभा
से झटपट चल दिये.
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