Tuesday 4 October 2016

“फ़र्ज़ी” सर्जिकल स्ट्राइक्स
अरविन्द केजरीवाल, संजय निरुपम, चिदंबरम वगेरा ने भारतीय सेना की पी ओ के में की गयी कार्यवाही को लेकर तरह-तरह के ब्यान दिए हैं. निरुपम ने तो इन स्ट्राइक्स को “फर्जी” तक करार दे दिया है. अब कुछ लोग यह तर्क दे रहे हैं कि उन्हें सेना पर पूरा विश्वास है लेकिन पाकिस्तान के दुष्-प्रचार का जवाब देने के लिए सरकार को इस कार्यवाही की विडियो जारी कर पाकिस्तान को करारा जवाब देना चाहिये.
तर्क के लिए मान भी लेते हैं कि यह सभी महानुभाव पाकिस्तान के दुष्-प्रचार से बहुत दुःखी हैं और इन्हें बहुत चिंता हो रही है कि ऐसे दुष्-प्रचार से सेना की आन-बान-शान को बहुत क्षति पहुंचेगी. पर इन लोगों ने यह कैसे मान लिया कि भारत की सरकार या सेना द्वारा जारी किये गए किसी भी वीडियो को पाकिस्तान सही मान लेगा और स्वीकार कर लेगा कि भारत की सेना ने सफलतापूर्वक सीमा पार कर कई आतंकवादियों को मार गिराया.
अलग-अलग आतंकवादी हमलों के जो भी सबूत पाकिस्तान को अब तक दिए गए थे क्या उन सब को पाकिस्तान ने सच मान कर उन पर कोई कार्यवाही की? चिदंबरम केंद्र में मंत्री रह चुके हैं उन्हें तो इतनी समझ होनी चाहिए कि पाकिस्तान किसी भी सबूत को सही नहीं मानेगा. क्योंकि सही मान लेना का अर्थ होगा यह मान लेना कि पाकिस्तान आतंकवादियों को संरक्षण दे रहा है. और अपनी सेना की पराजय भी स्वीकारनी होगी.   
ऐसे सर्जिकल स्ट्राइक्स के वीडियो या सबूत किसी भी देश की सेना जारी नहीं करती. पाकिस्तान को अगर यह वीडियो मिल जाएँ तो इन वीडियो को विश्लेषण कर उसकी सेना जान सकती है कि भारत की सेना ने किस प्रकार के हथियार इस्तेमाल किये, किस प्रकार के उपकरण वह साथ लाये, कैसी योजना थी, कैसी तैयारी थी और क्या इन स्ट्राइक्स में कोई कमज़ोरियाँ थीं जिसे समझ कर भविष्य में होने वाली स्ट्राइक्स का प्रतिकार की योजना बन सके.
आश्चर्य है की सत्ता में बैठे लोग भी इस हद तक गिर सकते हैं. सुना है कि आज केजरीवाल पाकिस्तान के समाचार पत्रों में छाये हुए हैं. कल शायद निरुपम, अजय आलोक  और चिदम्बरम उन अखबारों की सुर्खियाँ बनेगें. पाकिस्तान के जिस दुष्-प्रचार का एक करारा जवाब यह नेता सरकार और सेना से चाहते हैं उस प्रचार को इन सब ने ही तो प्रसांगिक बना दिया है.
आज हर मीडिया चैनल पर इसी की तो चर्चा हो रही है. पाकिस्तान के दुष्-प्रचार की सबसे बड़ी सफलता तो यही है की हम स्वयं ही अपनी सेना की कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं. अगर इससे सेना का मनोबल गिरता है तो पाकिस्तान अपने उद्देश्य में सफल ही माना जाएगा.
राजनेता समझें न समझें, हर देशवासी को समझना होगा कि सेना की ऐसी किसी कार्यवाही का ब्यौरा जारी नहीं किया जाता. हमारी सरकार और सेना को पाकिस्तान के दुष्-प्रचार का नहीं बल्कि उसके द्वारा पोषित आतंकवाद का करारा जवाब देना है.
इन तथाकथित नेताओं के दबाव में आकर सरकार को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे हमारी सेना की शक्ति या मनोबल में कमी आये. 
  

2 comments:

  1. You have rightly said it. The Govt. should not get incited by such leaders and endanger defence morale.

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