Monday 17 December 2018


अलीपुर बम केस
श्री अरविन्द अलीपुर बम केस में एक आरोपी थे. अपनी पुस्तक, ‘टेल्स ऑफ़ प्रिज़न लाइफ’, में उन्होंने इस मुक़दमे का एक संक्षिप्त वृत्तांत लिखा है. यह वृत्तांत लिखते समय उन्होंने ब्रिटिश कानून प्रणाली पर एक महत्वपूर्ण टिपण्णी की है.
उन्होंने लिखा है कि इस कानून प्रणाली का असली उद्देश्य यह नहीं है की वादी-प्रतिवादियों के द्वारा सत्य को उजागर किया जाए, उद्देश्य है कि किसी भी तरह, कोई भी हथकंडा अपनाकर केस जीता जाए.
यह केस श्री अरविन्द और अन्य आरोपियों पर 1908 में चला था. सौ वर्ष से ऊपर हो गये हैं पर देखा जाए तो आज भी न्याय प्रणाली में वादी-प्रतिवादी का असली उद्देश्य किसी न किसी  तरह केस जीतना होता है, सत्य उजागर करने में किसी का विश्वास नहीं होता.
इस प्रणाली में जीत होती है धनी, शक्तिशाली लोगों की जो वकीलों की फ़ौज खड़ी कर सकते हैं और निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ सकते हैं. आम आदमी तो बस चक्की में पिस कर रहा जाता है. ऐसा न होता तो 1984 के दंगों के मामले अब तक न चलते.

No comments:

Post a Comment