Thursday 5 October 2017

सड़क हादसे और आर्थिक क्षति
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में अप्राकृतिक दुर्घटनाओं के कारण 3,36,051 लोग मारे गए और 4,98,195 लोग घायल हुए. सड़क दुर्घटनाएं इन हादसों का एक मुख्य कारण हैं. इसी रिपोर्ट के अनुसार उस वर्ष 1,77,423 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए और 4,86,567 घायल हुए.
यह एक बहुत ही डराने वाला आंकड़ा है क्योंकि हर दिन लगभग 1800 लोग इन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं. सड़कों पर अधिकतर हादसे वाहन चालकों की गलती के कारण ही होते हैं. हमारी ज़रा से सावधानी और संवेदना इन सड़क दुर्घटनाओं में कमी ला सकती है और हज़ारों परिवारों को बरबाद होने से बचा सकती है.
इन सड़क दुर्घटनाओं का एक दूसरा पहलु भी है जिस पर हम अधिक ध्यान नहीं देते हैं.
हर दुर्घटना का आर्थिक प्रभाव होता है जो न सिर्फ उन व्यक्तिओं और परिवारों को सहना पड़ता है जो दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं परन्तु जिसका भार पूरे समाज को भी सहना पड़ता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सड़क दुर्घटनाओं का आर्थिक प्रभाव(इकोनोमिक इम्पैक्ट) देश की जीडीपी का 3% है.
इस आर्थिक भार के मुख्य अंश है:
१.   चिकित्सा पर खर्च.
२.   कानूनी प्रक्रिया पर खर्च.
३.   वाहनों और सम्पति का नुक्सान.
४.   पीड़ित परिवारों की आमदनी का रुक जाना या घट जाना    
पिछले वर्ष भारत की जीडीपी थी लगभग 1,47,000 अरब रूपए. अतः सड़क दुर्घटनाओं के कारण कोई 4,41,000 करोड़ रूपए का भार देश को झेलना पडा था. यह कितना बड़ा आंकड़ा है इस बात का अनुमान आप इस तथ्य से लगा सकते हैं कि भारत सरकार ने 2016-17 में कुल 17 लाख करोड़ टैक्स इकट्ठा किया था. अर्थात देश में हुए सड़क हादसों का आर्थिक प्रभाव सरकार के टैक्स वसूली के 25% के बराबर था.
जिस देश में 3०% लोग गरीबी रेखा के नीचे हों वहां पर इतनी बड़ी आर्धिक क्षति एक विप्प्ती से कम नहीं है.  और अगर सिर्फ पिछले दस वर्षों में हुई दुर्घटनाओं की बात करें तो हम पायेंगे कि सड़क पर होने वाले हादसों का आर्धिक भार था 33,70,000 करोड़ रूपए.
हम सब को एक बात समझनी होगी कि लगभग 66% हादसे चालकों की गलती के कारण या फिर नशे की हालत में गाड़ी चलाने के कारण होते हैं. इन सब हादसों को टाला जा सकता है.
अगर हम सब यह निर्णय कर लें की हम सदा अपना वाहन सावधानी के साथ चलाएंगे तो हज़ारों लोग हादसों का शिकार होने से बच सकते हैं और देश को जो अरबों रुपये की आर्थिक क्षति झेलनी पड़ती है उसमें भी बहुत कटौती आ सकती है.   


2 comments:

  1. We all owe a responsibility towards other road users (which will include ourselves)even if we don't care about the national loss.

    ReplyDelete
    Replies
    1. it's total lack of concern and compassion for others that makes us unique

      Delete