ज़ेब्रा क्रासिंग
वो थोड़ी सहमी,
थोड़ी घबराई सी थी.
सड़क पार करने के लिए
जैसे ही उस लड़की ने ज़ेब्रा क्रासिंग पर पाँव रखा एक कार कहीं से अचानक आई और उससे आ
टकराई. कुछ पलों के लिए आस-पास खड़े लोग स्तब्ध हो गये. एक-आध मिनट के बाद दो-चार
लोग उसकी सहायता करने के लिए उसकी ओर आये.
जिस कार से लड़की
टकराई थी वह कुछ दूर जा कर सड़क किनारे रुक गई. एक आदमी कार से बाहर आया और घायल लड़की की
ओर दौड़ा आया. गुस्से से उसका चेहरा तमतमा रहा था.
‘मर गई या अभी जिंदा
है?’ उसने चिल्ला कर कहा.
उसका ऐसा भद्दा
प्रश्न सुन कर वहां खड़े सब लोग सब चौंक गये. क्रोध की एक लहर हर एक के मन में उठने लगी. कुछ लोगों ने उसे घूर कर देखा. पर उन सब की
अवहेलना करते हुए उस आदमी ने चिल्ला कर कहा, ‘यह चोर है, इसने मेरा बटुआ चुराया
है, इस चोरनी की तलाशी लो, अभी.’
एक पल में ही सारा परिवेश बदल गया. अब सब लोग उस लड़की
को संदेह भरी दृष्टि से देखने लगे.
सौभाग्यवश लड़की को
कोई ख़ास चोट न लगी थी. वह उठ कर खड़ी हो गई थी और अपने आप को संभालने और व्यवस्थित
करने का प्रयास कर रही थी.
‘कितनी भोली लगती
है, कौन कह सकता है कि एक चोर है.’ भीड़ में से किसी ने कहा.
‘मैं चोर नहीं हूँ,’
लड़की ने कांपती और कमज़ोर आवाज़ में कहा.
'झूठ बोल रही है, इसी ने मेरा बटुआ चुराया है,' उस आदमी ने धमकाते हुए कहा.
लड़की ने सहमी नज़रों से आसपास खड़े लोगों की ओर देखा. सबकी आँखें शिकारी जानवरों समान चमक रहीं थीं. अब तक वहां कई लोग इकट्ठे हो गए थे.
'झूठ बोल रही है, इसी ने मेरा बटुआ चुराया है,' उस आदमी ने धमकाते हुए कहा.
लड़की ने सहमी नज़रों से आसपास खड़े लोगों की ओर देखा. सबकी आँखें शिकारी जानवरों समान चमक रहीं थीं. अब तक वहां कई लोग इकट्ठे हो गए थे.
‘इसकी तलाशी लो;
पुलिस को बुलाओ; कितनी सीधी लगती है; चोर लगती नहीं है; मैंने इसे पहले कहीं देखा है;
चोर ही होगी; कैसा समय आ गया है.’ ऐसी कई
बातें एक साथ भीड़ में यहाँ-वहां से उठने लगीं.
‘आप चाहें तो पुलिस
को बुला लें, जब तक पुलिस नहीं आती मैं यहीं खड़ी रहूँगी. पर मेरा विश्वास करें,
मैं चोर नहीं हूँ. मैं सत्य कह रही हूँ. वह आदमी..................’
लड़की ने इधर-उधर देखा. भीड़ में खड़े लोगों की आँखें भी एक साथ इधर-उधर घूमने लगीं. पर वह आदमी कहीं दिखाई न दिया. उसकी कार वहीं खड़ी थी.
लड़की ने इधर-उधर देखा. भीड़ में खड़े लोगों की आँखें भी एक साथ इधर-उधर घूमने लगीं. पर वह आदमी कहीं दिखाई न दिया. उसकी कार वहीं खड़ी थी.
सब लोग अब थोड़ा चकरा
गये. सब एक दूसरे का मुहं देखने लगे. किसी को समझ न आ रहा था कि अब क्या करना
चाहिये. हर कोई प्रतीक्षा करने लगा. अब कोई भी किसी तरह की पहल करने को तैयार न था.
एक-एक कर सब यहाँ-वहां खिसकने लगे और देखते ही देखते भीड़
छितर गई.
उस भीड़ में इकट्ठे हुए कुछ लोगों को बाद में पता चला की उनके बटुये उनकी जेबों से गायब हो गये थे.
जांच करने पर पुलिस
को को पता चला कि जो कार वह आदमी सड़क किनारे छोड़ गया था वह उसी सुबह
चोरी हुई थी.
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