Sunday 23 January 2022

 

सहजो वाणी-2

सहजो बाई के कुछ और वचन सांझा कर रहा हूँ

प्रेम दिवाने जे भये, पलटी गयो सब रूप

सहजो दृष्टि न आवाई, कहा रंक कहा भूप.

(जब व्यक्ति ईश्वर के प्रेम में डूब जाता है, फिर उसके लिये सब भेद मिट जाते, राजा और रंक एक समान दिखते हैं)

प्रेम दिवाने जे भये, जाति वरण गए छूट

सहजो जग बौरा कहे, लोग गए सब फूट.

(ईश्वर के प्रेम में व्यक्ति को जाति वर्ण का कोई भेद नहीं रहता, पर लोग उसे पागल समझने लगते हैं और उससे नाता तोड़ लेते हैं)

प्रेम दिवाने जे भये, सहजो डिगमिग देह

पाँव पड़े कित के किती, हरि संभाल तब लेह.

(ईश्वर प्रेम में लीन भक्त को तो अपनी देह का भी ध्यान नहीं रहता, उसे तो बस ईश्वर ही संभालते हैं)

मन में तो आनंद रहे, तन बौरा सब अंग

ना काहू के संग है, सहजो न कोई संग.

( ईश्वर-भक्त को परम आनन्द प्राप्त हो जाता है फिर न कोई साथ रहता और न किसी का साथ उसे अनिवार्य लगता है)

इन वचनों का सार यही कि जो व्यक्ति ईश्वर प्रेम में लीन है वह संसार में रहते हुए भी संसार से अलग हो जाता. लोग उसे पागल समझ सकते हैं, पर उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अब उसे किसी के संग की आवश्यकता ही नहीं रह जाती.

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2 comments:

  1. सच है जिसने खुद को ईश्वर में लीन कर लिया उसे और क्या चाहिए वह तो खुद ही ईश्वरीय तत्व बन गया

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    1. धन्यवाद ब्लॉग पढने के लिय

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