क्या कह दिया सलमान खुर्शीद ने?
“यह क्या कह दिया सलमान खुर्शीद ने?”
मुझे देखते ही मुकन्दी लाल बोले. वह बहुत उत्तेजित थे.
“अरे, अरे क्रोध में आप अपने संस्कार
भी भूल गये,” मैंने मुस्कराते हुए कहा.
“जब वह लोग अपने संस्कार नहीं भूलते तो आप क्यों भूल रहे हैं?”
“क्षमा चाहता हूँ. पर मैं बहुत आहत
हूँ. अच्छा यह बताइये, जो कुछ श्री सलमान खुर्शीद जी ने कहा है क्या वह आश्चर्यजनक
नहीं है?”
“हाँ, बिलकुल आश्चर्यजनक है, पर मुझे
तो इस बात का आश्चर्य है कि उन्होंने आईएसआईएस और बोको हरम को आतंकवादी कहा. विश्वास
नहीं होता कि वह ऐसी बात कहने का साहस कर पाए, मेरी समझ में यह नहीं आ रहा.......”
“और हिन्दुओं को जो आतंकवादी
कहा........”
“अब आप उन अन्याय कर रहे हैं, एक तो
आपने उनसे सत्ता छीन ली और अब आप चाहते हैं कि वह आप का गुणगान करें, ऐसा कैसे हो
सकता है. सत्तर सालों से वह सत्ता का सुख भोग रहे थे.....”
“सत्तर सालों से?”
“अरे, सत्तर न होगा तो पचास होगा. उनके
वालिद भी तो कोई मंत्री या गवर्नर थे. आपको इस बात का अनुमान नहीं है कि जो सुख
यहाँ के सांसद, मंत्री भोगते हैं वह तो शायद महाराजा प.....”
“चुनाव हार गये तो ऐसी भाषा बोलने
लगेंगे?”
“क्यों नहीं बोलेंगे? आप उनको उनके
जन्मसिद्ध अधिकार से वंचित कर देंगे और फिर अपेक्षा करेंगे कि वह चुप बैठे रहें.
भई, सत्ता के बिना सीने में जलन होती है. अगर सीने में जलन हो तो कोई क्या कर सकता
है? कैसे भी करके जलन ठंडी तो करनी पड़ती है. बस हर एक का तरीका अलग होता है. कोई
गाली देकर करता जलन ठंडी करता है, कोई ऊलजलूल
आरोप लगा कर.”
“पर यह अच्छी बात नहीं है.”
“अरे समझदार लोग इन बातों को ज़्यादा
महत्व नहीं देते.”
पर मुकन्दी लाल मेरे तर्क से सहमत न
लगे.
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