Wednesday, 24 November 2021

 

क्यों?

“यह अचानक सभी लोग हिन्दुओं के विरुद्ध ऐसी अपमानजनक बातें क्यों कहने लगे हैं?” मुकन्दी लाल जी ने बड़े दुःखी भाव से पूछा.

“भाई साहब, मैंने पहले भी आप से कहा था, राजनीति में अचानक कुछ नहीं होता.  यह सब भी अचानक नहीं हो रहा. इस देश में कुछ लोग हैं जिन्हें हिन्दुओं से कुछ अधिक ही प्रेम है. बस अपना प्रेम व्यक्त करने का ढंग थोड़ा निराला है.”

“कोई कारण तो होगा जो वो ऐसा कर रहे हैं.”

“अब किसी के मन में झाँक कर तो देख नहीं सकते, हम तो अनुमान ही लगा सकते हैं.”

“क्या अनुमान है आपका?”

“हो सकता है उन्हें लगता हो कि अब सत्ता पाने का उनके पास एक ही उपाय है. देखा जाए तो भाजपा कांग्रेस बनती जा रही है, ऐसे में कांग्रेस के पास क्या विकल्प है? भाजपा तो बन नहीं सकती, तो एक ही रास्ता बचता है, मुस्लिम लीग बनना.”   

“मुझे तो लगता है कि ऐसा करने के लिए उन्हें कोई मजबूर कर रहा.”

“कौन मजबूर कर सकता है?” मैंने पूछा.

“कोई भी...चीन कर सकता है...चर्च कर सकती है....जिहादी कर सकते हैं, याद नहीं मुंबई हमले के लिए एक नेता ने आरएसएस को ज़िम्मेवार ठहराया था.”

“चीन?”

“चीन की पार्टी के साथ एग्रीमेंट जैसा कुछ नहीं किया था क्या?”

“नहीं-नहीं, मुझे लगता यह कारण नहीं हो सकते हैं, शायद इन लोगों की सोच ही विकृत है. शायद यह लोग सच में सनातन धर्म से घृणा करते हैं.”

“सनातन धर्म से या हिन्दुओं से? बीच-बीच में यह लोग मंदिर-मंदिर भी जाते हैं.”

“मंदिरों में घूमने से क्या होता है.मन में क्या है वह महत्वपूर्ण है.”

“अच्छा तो यह होता कि ईमानदारी से बता देते कि.......”

मुकन्दी लाल जी को मैंने बीच में ही टोका, “ईमानदारी, अब आप अन्याय कर रहे हैं राजनेताओं के साथ.”

मेरी बात सुन कर वह ज़ोर से हंस दिए.    

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