Wednesday 20 May 2015

मंत्री जी की बेटी का तोता
आई जी साहब नाश्ता करने बैठे ही थे कि सूचना मिली, बड़ा बाग़ में तीन बच्चों की निर्मम हत्या कर दी गई है. दो सप्ताहों में यह तीसरी घटना थी. पहली घटना में एक महिला की हत्या हुई थी, दूसरी में दो बच्चियों  की.
सारी बस्ती में तनाव था. कभी भी स्थिति बिगड़ सकती थी. नाश्ता छोड़, आई जी साहब ऑफिस चल दिये. तुरंत एक बैठक बुलाई.
“अभी तक कोई पकड़ा क्यों नहीं गया?” उन्होंने झल्ला कर पूछा.
“सर, कुछ सुराग मिले हैं....”
“यह मैं कई बार सुन चुका हूँ....”
बात बीच में ही रह गयी. दिल्ली से संचार मंत्री का फोन आ गया. पर उनसे भी बात हो न पाई, लाइन जो कट गई थी.
“सर, संचार मंत्री की लाइन कट जाती है तो हम लोगों का क्या होगा.” एक अधिकारी ने हँसते हुए कहा और अपनी वाक्पटुता दिखलाई. आई जी साहब ने घूर कर उसे देखा, उसका दिल बैठ गया.
“सर, बड़ा बाग़ की बस्ती उनके चुनाव क्षेत्र में आती है. इसी कारण फोन किया होगा,” किसी ने अपनी समझबूझ दिखलाई.
“हम जानते हैं, पर हम उनसे क्या कहें? यही की कुछ सुराग मिले हैं.” आई जी साहब का स्वर तीखा था, वह अपने-आप से खीजे हुए थे.
संचार मंत्री का फिर से फोन आया.
“आई जी साब, बड़ी गंभीर समस्या आ खड़ी हुई है.”
“मुझे इस बात का पूरा अहसास है. हम ....”
“अपने सबसे योग्य अफसरों को अभी दौड़ाओ और शाम तक बिंकू को खोज निकालो”
आई जी तो जैसे नींद से जागे.
“आप बड़ा बाग़ वाली घटना की बात कर रहे हैं.....”
“वहां क्या हुआ है? वह सब बाद में, अभी तो बस आप बिंकू को ढूंढ निकालो.”
“बिंकू....क्या है?.....कौन है?” आई जी ने बड़ी धीमी आवाज़ में पूछा.
“आप भी कमाल करते हैं. आई जी कैसे बन गये? बिंकू हमारी बेटी का तोता है. विदेश से लेकर आये थे हम. सब जानते हैं. अब समय नष्ट न करो और काम पर लग जाओ और मुझे अच्छी खबर चाहिये, तुरंत.”
एक अधिकारी ने सूचना दी कि बड़ा बाग़ में दंगा शुरू हो गया है. भीड़ ने कुछ दुकानें व घर जला डाले हैं. आती-जाती बसों पर पत्थर भी फैंके जा रहे हैं.
मुख्य मंत्री का फोन आया.
“क्या कह दिया आपने संचार मंत्री से? बहुत नाराज़ हैं?”
“अभी उनसे बात .........”
“वह सुबह से कोशिश कर रहे थे आपसे बात करने की. आप रहते कहाँ हैं? तोता मिला या नहीं?”
“सर, बड़ा बाग़ में स्थिति बड़ी विस्फोटक हो रही है. हम सब उसी को संभालने में...........”
“यही बात आपने संचार मंत्री से कही होगी? वह चाहें तो आज ही मुझे हटा कर, मुख्य मंत्री बन सकते हैं, जानते भी हैं या नहीं? या आप भी यही चाहते हैं?”
मुख्य मंत्री की बात सुन आई जी हताश हो गये. मन ही मन बड़बड़ाये, इन सब को अपनी कुर्सी की चिंता हो रही है. एक बस्ती जल रही है और हमें एक तोता ढूँढने के लिए कहा जा रहा है.
“जी, हम तोता ढूंढ निकालेंगे.”
“आप स्वयं इस काम की निगरानी करें. उधर का सब एस पी देख लेगा. वह नींद से जाग गया या नहीं? देर रात तक शराब पीता रहेगा तो जल्दी कैसे उठेगा?”
फिर थोड़ा रुक कर मुख्य मंत्री ने कहा, “तीन माह बाद डी जी रिटायर हो रहे हैं. अगर हम इस कुर्सी पर रहे तो हो आप उस कुर्सी पर पहुँच पायेंगे. संचार मंत्री तो आप को आई जी भी न रहने दें. आप समझ रहे हैं न मेरी बात?”
आई जी साहब ने तुरंत अपने सबसे योग्य अधिकारियों को बुलवा भेजा. संचार मंत्री की बेटी का तोता ढूँढने की योजनायें बनने लगीं. आई जी साहब ने चेतावनी दे दी, “अगर शाम तक तोता न मिला तो सब पोस्टिंग के लिए तैयार रहना.”
करो या मरो की भावना से सब “मिशन बिंकू” में जुट गये. सब खबरियों को चेतवानी दे दी गई, जिसके पास जो भी खबर है तुरंत पहुंचाये, अगर कोई खबर नहीं है तो खबर ढूंढ कर लाये. खुफिया तन्त्र को पूरी तरह सजग कर दिया गया. सभी इन्स्पेक्टेरों, सब-इन्स्पेक्टेरों वगेरह को यहाँ से वहां और वहां से यहाँ दौड़ाया गया.
हर एक ने गज़ब की फुर्ती दिखलाई. शाम होने से पहले ही बिंकू को खोज निकाला गया. मिशन की सफलता का समाचार आई जी ने स्वयं मुख्य मंत्री को दिया. मुख्य मंत्री ने आई जी और उनकी पूरी टीम को बधाई दी और तुरंत संचार मंत्री को यह शुभ समाचार सुनाया.
इस बीच बड़ा बाग़ में तीन लोग मारे गये थे, बीस-पच्चीस लोग घायल हुए थे, पच्चीस-तीस दुकाने और घर आग की भेंट हो गये थे, कई बसों-गाड़ियों को क्षति पहुंची थी. जिस अधिकारी ने यह सूचना दी उसे आई जी साहब ने कहा कि मामले की पूरी रिपोर्ट बना कर भेजे.
“और स्थिति पर पूरी निगरानी रखो, मैं कोई चूक सहन नहीं करूंगा.” आई जी साहब ने कठोरता से आदेश दिया.
अचानक आई जी साहब को भूख का अहसास हुआ. उन्हें ध्यान आया कि उन्होंने सुबह से कुछ खाया नहीं था, “कुछ खाने का बंदोबस्त भी करो.”
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©आई बी अरोड़ा



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