Friday 8 May 2015

सलमान—जेल से बेल
सलमान खान केस में न्यायालय का फैसला मीडिया के लिये एक भूकम्प से कम न था.
सभी चैनल की बीसियों लोग कैमरे और माइक उठाये अदालत के बाहर डेरा जमाये थे. इतने ही लोग सलमान के घर के बाहर थे. पल-पल की सूचना मुस्तैदी से वह उन लोगों तक पहुंचा रहे थे जो अपने-अपने घरों में दिल थाम कर टीवी के सामने बैठे थे.
हर चैनल पर चर्चा हुई. सभी प्रकार के बुद्धिजीविओं ने अपने-अपने विचारों से लोगों को निहाल किया. इस बात पर भी चर्चा हुई कि सड़कों पर सोने वाले लोग कुत्तों के समान हैं या नहीं. (कुत्तों को सड़कों पर सोने का अधिकार है या नहीं इस पर भी थोड़ी-बहुत बहस हुई, जो शायद कुत्तों को अच्छी नहीं लगी) अपनी मुफलिसी के दिनों में कोई गायक (नाम लिखना उचित न होगा) सड़कों पर क्यों नहीं सोया, इस विषय पर कोई चर्चा हुई या नहीं यह हम जान नहीं पाया.
हमारे देश के लोग कितने सजग और संवेदनशील हैं इस बात का भी अहसास हुआ. मीडिया वालों ने कई प्रकार के लोगों से कई प्रकार के प्रश्न किये और हर व्यक्ति ने, चाहे वह राह चलता फेरीवाला ही क्यों न था, बहुत सुलझे हुए विचार सबके सामने रख कर सब को आश्चर्यचकित कर दिया.
जो लोग हम भारतीयों को संवेदनहीन मानते हैं ‘उन’ सब को हमारे सभी टीवी चैनलों का पिछले कुछ दिनों का प्रसारण देखना चाहिये था. ‘उन’ लोगों को समझ आता की संवेदनशीलता हम लोगों में कूट-कूट कर भरी है, बस इसका प्रदर्शन हम उचित समय पर ही करते हैं. यह भी सुनने में आया है कि टीवी चर्चा में भाग लेते समय कुछ लोग अपने आंसू बड़ी मुश्किल से रोक पाये थे, उन्हें यह भय था कि कहीं संवेदना शून्य लोग उन आसूओं को घड़ियाली आंसू न समझ बैठें, आंसूओं से मेक-अप बिगड़ सकता है इसका उन्हें रत्तीभर भी भय न था..

अब चूँकि सलमान जेल नहीं जा रहे हैं, आगे की चर्चाओं में अब वह पीड़ा नहीं झलकेगी जो पीड़ा झलकनी अवश्यंभावी थी अगर बेल न मिलती. कुछ मूढ़ लोग मीडिया की भूमिका को लेकर ‘अटपटे’ प्रश्न अवश्य उठाएंगे. पर मीडिया ऎसी सब चुनौतियों के लिये पूरी तरह तैयार है और रहेगा. 

2 comments:

  1. I think it was all drama. Salman got convicted will go to jail eventually. Why did media wake up to the plight of victims 13 years too late? We need to bring better law to compensate and rehabilitate victims of road accident and harsher penalty for rash, negligent and drunk drivers. If possible, speed up justice system. 13 years is too long to go through one layer of court.

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    1. टी आर पी की चक्कर में मडिया सर्कस बनता जा रहा है. मुझे याद है जब हम स्कूल-कॉलेज में थे तब सप्ताह में एक दिन रेडियो पर चर्चा प्रसारित होती थी, कितना अच्छा लगता था वह चर्चा सुन कर. आज कल टीवी चर्चा कॉमेडी शो जैसी लगती है.

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