Monday, 11 May 2015

मोदी सरकार का एक वर्ष
बात जनवरी-मार्च २००० की है. राय स्कूल, लोधी रोड में बारहवीं कक्षा के विध्यार्थियों का विदाई समारोह था. जगमोहन, वाजपयी सरकार में एक मंत्री, मुख्य अतिथि थे. जो विद्यार्थी स्कूल से जाने वाले थे, उन्हें संबोधित करते हुए जगमोहन ने कहा कि अब आपको स्कूल और घर के सुरक्षित वातावरण से बाहर जाना होगा. टीवी में सुनते होंगे और न्यूज़ पेपर्स में पढ़ते होंगे कि सिस्टम बहुत ख़राब है. अपने अनुभव से मैं कह सकता हूँ कि जितना न्यूज़ में बताया जा रहा है सिस्टम उससे कहीं अधिक ख़राब है.
जगमोहन के कथन ने मुझे चौंकाया नहीं था. सिस्टम का एक छोटा सा अंग होते हुए मैं भी ऐसा ही महसूस कर रहा था.
मोदी सरकार सत्ता में आई २०१४ में, इन चौदह वर्षों में सिस्टम की कितनी अवनति हुई इसका भी अनुमान कई लोगों को है.
किसी सिस्टम को बिगाड़ना बहुत सरल होता है पर सिस्टम में ज़रा सा सुधार लाना बहुत कठिन. सिस्टम दिनों में बिगाड़ा जा सकता है, सुधारने में वर्षों लग सकते है. सिस्टम के लोग साथ न दें तो समस्या और भी कठिन हो जाती है. (मैं पार्क में टहल  रहा था. कुछ दूर, दो महिलायें सैर कर ही थीं. एक दूसरे से कह रही थी, ‘एक तो मोदी ने स्यापा डाल दिया है. टाइम पर ऑफिस पहुंचना पड़ता है’.)
हज़ारों ऐसे लोग हैं राजनीति में, अफसरशाही में, बिज़नस और इंडस्ट्री में, मीडिया में, एनजीओ’स में, ‘परिवार’ में जिनके लिए भ्रष्ट और बिगड़ा हुआ सिस्टम उपजाऊ धरती समान है जिस पर वह वर्षों से पनप रहे हैं और फल-फूल रहे है, यह लोग ऐसी सरकार का हर जगह और हर प्रकार से विरोध करेंगे जो उनके लिए सिस्टम को बंजर बनाने के प्रयास करेगी.

इन सब चुनौतियों के बावजूद अगर मोदी और उसके कुछ मंत्री समय पर फ़ाइलें ही निपटा रहे हैं और बिना देरी किये निर्णय ले रहे हैं तो यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि सिस्टम में अभी भी कई लोग हैं जो समस्याओं की अच्छी समझ रखते हैं और काम करने को आतुर हैं, बस उन्हें एक अवसर चाहिये. 

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