Thursday, 28 May 2015

सूट-बूट की सरकार
(एक टी वी चर्चा)
(यह व्यंग किसी भी चैनल या किसी भी एंकर से प्रेरित हो कर नहीं लिख गया. यह पूरी तरह काल्पनिक है)
एंकर – इस चैनल पर हम सिर्फ सच सुनना चाहते हैं. यह इकलौता चैनल जो हर पल सच की खोज में लगा रहता है. अगर आप लोग सच से डरते हैं तो आप किसी और चैनल पर चर्चा करने जायें. यहाँ सिर्फ सत्य उजागर किया जायेगा. तो क्या यह सरकार सूट-बूट वाली सरकार है?
राजनेता 1 – यह सरासर अन्याय है. यहाँ किसान आत्महत्या कर रहे हैं और आप सूट-बूट की चर्चा कर रहे हैं.  पिछले दस.........
राजनेता 2 और 3 (एक साथ) - नहीं.... बात यह नहीं है.... बिलकुल सही कहा आपने. सिर्फ इस चैनल पर सच की बात होती है..... यह साम्प्रदायिक ताकतों  की चाल है.... किसान पहले भी.....सूट-बूट पहनना.....आप एक मिनट चुप रहिये....आप मेरी बात....नहीं.....हां.....
एंकर – यही सच है. सूट पहना था बूट भी पहने थे. सबने देखा था. आप मान क्यों नहीं लेते.
राजनेता 1 – आप पूरी बात क्यों नहीं सुनते. अगर आप ने हमें बुलाया है तो हमें समय दें. पिछले दस वर्षों में.......
एंकर – नहीं-नहीं, हम आप की बात नहीं सुन सकते, आप स्वीकार करें की सूट-बूट पहना था. आप को देश से क्षमा मांगनी होगी. आप ने लोगों के विश्वास का मज़ाक उड़ाया. यही सच है.
बुद्धिजीवी 1 –हमें देखना होगा की सूट-बूट किस प्रकार की मानसिकता का परिचायक है, पूंजीवाद का या फिर संकीर्णतावाद का. क्या यह किसी कुंठा को छिपाने का आवरण है या सिर्फ फिर एक छ्द्मावेश अपनी महत्वाकांक्षा..........
एंकर – हमारे साथ एक विशेषज्ञ हैं. पहले उनकी बात सुनते हैं.
विशेषज्ञ- हमने जो सर्वेक्षण किया है उसके अनुसार 58.7645% लोग मानते हैं कि सूट-बूट पहना पूरी तरह गलत नहीं है परन्तु जिन लोगों ने आम आदमी को वोट दिए थे उनमें 65.8975% ने कहा है कि अभी वह कुछ कहना नहीं चाहते, यह एक गंभीर बात है......
राजनेता 3 – इसी कारण आज हमारी खिल्ली उड़ रही है. आप बताइये क्या जवाब है आपके.......
राजनेता 2 – बात साम्प्रदायिक ताकतों की हो रही थी. घर आने की, मेरा मतलब है वापसी की. घर वापसी की.
एंकर – हां, यही मुद्दा है, अगर आप अपना समय सूट-बूट पर न लगाते तो यह सब क्या होता? नहीं होता. बिलकुल नहीं होता. आपको  मानना होगा की ऐसा ही है. यह उन लोगों के साथ अन्याय है जिन लोगों ने वोट डाले, आपको चुना और अब आप सच से पीछे हट रहे हैं. ऐसा आप अन्य चैनल पर कर सकते हैं. इस चैनल पर नहीं.........   
बुद्धिजीवी 2- मैं इतने समय से चुप हूँ, आप हमें बोलने का अवसर ही नहीं दे रहे. मैं कह रहा था...... 
राजनेता 2 – आप सही कह रहे हैं. पर क्या राजनीतिक परिवार वालों को ही सूट-बूट पहनने का अधिकार है, किसी अन्य का नहीं.
राजनेता 3 – हमने तो सुना है की नेहरु जी के दादा जी के कपड़े धुलने के लिए विलायत जाते थे.
राजनेता 1, 2 और एंकर (तीनों एक साथ) – आप क्या अंटशंट बोल रहे हैं.... हाँ, यही बात है.... नहीं.... यही सच है..... नेहरु जी के पिता.....और सच हमारे ही चैनल पर सब के सामने आया.... मैं कह रहा था की राहुल जी...... साम्प्रदायिक ताकतों....किसान....सूट-बूट.....आत्महत्या .....
बुद्धिजीवी 2- आप सब मुद्दे से भटक रहे हैं. प्रश्न यह है कि सूट-बूट की बात शुरू क्यों हुई....और कैसे हुई....

एंकर –पर हम ने सच को उजागर कर ही दिया. यही अंतर है हमारे चैनल में और अन्य चैनलों में. हम सत्य तक पहुँच ही जाते हैं. आप सब ने खुले मन से अपने विचार रखे. आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद. और अगली चर्चा बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर .... 

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