एक करप्ट नेता का नाम
“किसी एक करप्ट नेता
का नाम लो?” चुन्नीलाल जी ने आते ही एक प्रश्न दाग दिया.
मुझे भी कुछ ठिठोली
सूझी, कहा, “ आप यह क्यों नहीं कहते कि किसी एक भ्रष्ट नेता का नाम लो?”
“हम आपके प्रश्न का
उत्तर दें या फिर अपनी पत्नी के प्रश्न का?” चुन्नीलाल जी ने झल्ला कर कहा.
“अरे, क्या प्रश्न
किया है भाभी जी ने, क्या किसी करप्ट नेता का नाम पूछा है?”
“उनका मानना है कि
देश की दुर्गति के लिए नेता नहीं, देश की जनता ज़िम्मेवार हैं. उनके विचार में इस
देश के सब लोग भ्रष्ट हैं.”
“अब ऐसा क्या कर
दिया देश की बेचारी जनता ने जो भाभी जी इतनी नाराज़ हैं?”
“आज सुबह ठेलेवाले
से एक किलो आलू लिए उन्होंने, बीस रूपये के भाव से. बाद में अख़बार में पढ़ा की
मंडी में आलू का भाव दस रुपये है. बस, पत्नी जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच
गया.”
“पर बात करप्ट
नेताओं तक कैसे पहुंची?”
“आलू का भाव पढ़ कर
वह लगीं सब को कोसने. बोलीं, सब लोग भ्रष्ट हैं, चोर हैं, लुटेरे हैं. हमनें वातावरण
को थोड़ा हल्का करने के लिये कह दिया, ‘अजी, इतना भी क्या, जब देश के नेता ही करप्ट
हैं तो गरीब जनता का क्या दोष.’ बस हमारा इतना ही कहना था कि उन्होंने एक चुनौती
दे डाली. पूछा, ‘किसी एक करप्ट नेता का नाम लो’. हमारे तो होश उड़ गये. सीधे दौड़े
आये आपके पास. अब आप ही हमारी सहायता कर सकते हैं अन्यथा आज हमारी गृहस्थी की नैया
डोलती लगती है.”
“अरे, आप इतना क्यों
घबराये हुए हैं. आप किसी भी नेता का नाम ले सकते थे. आज कौन नेता है जो दूध का धुला है?”
“आप क्या कहते हैं?
अगर उन्होंने जिरह शुरू कर दी तो हम कहीं के नहीं रहेंगे.”
“क्यों?”
“क्या कहते हैं आप? कोई
ऐसा नेता है जिसके विरुद्ध एक भी भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध हुआ हो. बस सब एक दूसरे
पर आरोप लगाते हैं पर आज तक किसी भी नेता को कोई भी सरकार दोषी सिद्ध कर पाई है. आपकी
भाभी जी ऐसी मूढ़ नहीं हैं कि हम कोई भी नाम ले लें और वह मान जायेंगी. हर टीवी चैनल
पर हर चर्चा की बड़े ध्यान से सुनती हैं. जितने भी घोटाले हुए हैं सब की जानकारी है
उनके पास.”
“यह गंभीर समस्या
है.”
“तभी तो आते ही आपसे
पूछा, किसी एक करप्ट नेता का नाम लो.”
हमने हाथ खड़े कर दिए.
इस देश में घोटाले तो बहुत हुए पर कोई नेता करप्ट नहीं है क्योंकि किसी नेता के
विरुद्ध कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ. यही अटल सत्य है.
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