Friday 15 May 2015

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अतिरिक्त किसी भी राजनेता का छायाचित्र किसी भी सरकारी विज्ञापन में नहीं छपना चाहिये.
इस आदेश से सभी राजनेता विचलित और दुःखी हैं. सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के भय से कोई भी खुल कर इस विषय पर बात नहीं करना चाहता. परन्तु हमने राजनेताओं से बात की. आश्वासन दिया कि किसी का नाम हम प्रकाशित न करेंगे, तभी वह अपने विचार हमें बताने को राज़ी हुए.
एक नेता ने कहा, “हमारा परिवार तीन पीढ़ियों से इस देश की सेवा कर रहा है. मैंने अपने बेटे और बहु को भी देश सेवा में अभी से ही झोंक दिया. दोनों संसद सदस्य हैं. अब अगर कल वह मंत्री बनते हैं और अपने विभाग के किसी विज्ञापन में मेरा या अपने दादा का छायाचित्र छपवा देतें हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है? इस सत्य को तो आप नहीं नकार सकते कि देश सेवा हमारे लिए एक शब्द नहीं है, हमारी जीवन शक्ति है, हमारी आत्मा है.”
दूसरे नेता ने एक अन्य पहलु पर प्रकाश डाला, “लोगों का अधिकार है सारी जानकारी प्राप्त करना. अगर हम राजनेताओं की तस्वीरें नहीं छापेंगे तो क्या वह आवश्यक जानकारी से वंचित नहीं रह जायेंगे. लोग कैसे जान पायेंगे कि उनके नेता उनके लिए क्या-क्या कर रहे हैं.”
एक नेता ने कहा, “प्रजातंत्र की बात है, लोग हम से प्यार करते हैं, लोगों ने तो अपने प्रिये नेताओं के मन्दिर बना दिये हैं, प्रिये नेता की मूर्ति स्थापित कर उसकी पूजा करते हैं. अगर उनके प्रिये नेता के साथ कुछ भी घटता है तो लोग अपनी जान देने पर उतारू हो जाते हैं. तो विज्ञापन में फोटो छापना कैसे गलत है? मैं तो कहूँगा कि गरीब लोगों के साथ अन्याय है.”
एक अन्य नेता ने कहा, “सूट-बूट सरकार की चाल है. सुप्रीम कोर्ट को इस सरकार ने गुमराह किया है, बहकाया है. अन्यथा कोर्ट ऐसा क्यों कहता कि प्रधानमंत्री की तस्वीर छप सकती है और किसी की नहीं छप सकती. हम भी सूट-बूट पहनते तो हमारी तस्वीर की भी अनुमति दे देते, हम भी तो मुख्यमंत्री है. हमारा दोष बस इतना है कि धोती-कुर्ते में विश्वास रखते हैं.”
किसी और ने कहा, “इससे प्रजातंत्र की नींव कमज़ोर होगी. राजनेताओं और प्रजा के बीच एक खाई पैदा होगी. लोगों का राजनेताओं से विश्वास उठ जायेगा और तानाशाही को एक अवसर मिलेगा. पहले ही सारी ताकत एक व्यक्ति ने अपने हाथ में ले रखी है. अब इस देश का कुछ नहीं हो सकता.”

हर नेता अशांत था. हम भी चिंतित हैं, अब देश की गरीब जनता कैसे जान पाएगी कि उनके नेता उनके सुख-चैन के लिए किस तरह रात-दिन एक कर रहे हैं.

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