पब्लिक का पब्लिक
ट्रायल.
किसी राजनेता के सुपुत्र ने एक लड़की का अपहरण कर लिया. पुलिस कोई कार्यवाही
नहीं कर पाई या कर रही है, ऐसी सूचना सुनने को मिली.
अब यह बात मीडिया खूब उछालेगा. कई प्रकार के लोग कई तरह की बहसों में
भाग लेगें और ऊंची आवाज़ में चिल्ला-चिल्ला कर कई तरह की बातें कहेंगे. तर्क-कुतर्क
करेंगे. न्याय-अन्याय की बातें करेंगे, किस के अच्छे दिन आये हैं और किस के नहीं,
इस बात का निर्णय करेंगे.
पर इस उठा पटक में सब यह भूल जायेंगे कि हमारे राजनेता देश के लिए
कितना बलिदान दे रहे हैं और अनेक कठनाइयों के होते हुए भी देश और समाज के लिए बलिदान
देते रहते हैं.
इस महान देश के महान राजनेता स्वयं को ही नहीं अपनी पत्नी को, अपने
बेटों-बेटियों को, भाई-बहनों, बहुओं-दामादों को, पत्नी के भाई-बहन को, उनके बच्चे
को, मित्रों को और यहाँ तक कि अपने कुत्तों और बिल्लियों तक को देश के सेवा में झोंक देतें हैं. विश्व के
किसी प्रजातांत्रिक देश के राजनेता अपने देश के लिए इतना बलिदान नहीं देते जितना
बलिदान हमारे राजनेता देते हैं.
देश और समाज के लिए इतना बलिदान करते हुए अगर किसी राजनेता से कोई
छोटी-मोटी भूल हो जाती है तो इतना चिंतित और इतना होहल्ला करने वाली क्या बात है?
टोल प्लाज़ा पर अगर किसी नेता के अनुयायी दो-चार कर्मचारियों को पीट देते हैं या फिर रेल में यात्रा करते समय अगर वह किसी अधिकारी या कर्मचारी से थोड़ा सा दुर्व्यवहार कर देतें हैं तो इतना उत्तेजित होने वाली क्या बात है.
देश सेवा में रत एक नेता ने अभी हाल ही में सुझाव दिया है की मीडिया
का पब्लिक ट्रायल होना चाहिये. बिलकुल सही कहा है. मैं तो कहूँगा कि पब्लिक का भी
पब्लिक ट्रायल होना चाहिये. जो लोग स्वयं तो देश के लिए कुछ करते नहीं उलटा देश
सेवा में लग्न राज नेताओं की राह में अवरोध बन जाते हैं ऐसे लोगों का पब्लिक
ट्रायल होना ही चाहिये.
ऐसे ट्रायल के बाद ही देश का आम आदमी समझेगा कि देश के कुछ
लोग अपने राजनेताओं के साथ कितना अन्याय करते हैं.
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अगर आपको यह व्यंग अच्छा लगा है तो सूट-बूट की सरकार भी देखें
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