Wednesday, 13 May 2015

हम सब चोर हैं
रात के दस बजे थे. अचानक हो-हल्ला सुन कर हम सब चौंक पड़े.
मुख्य फाटक के निकट कुछ लोग के एक चौकीदार से लड़ रहे थे. दूसरे चौकीदार ने झट से अवैतनिक सचिव महोदय को फोन किया. वह एक-दो लोगों को साथ ले मुख्य फाटक की ओर दौड़े. पर उनके गेट पर पहुँचने से पहले ही वह लोग भाग गये. पर जाने से पहले उन्होंने एक चौकीदार को बुरी तरह पीट डाला था.
तुरंत पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस आनन-फ़ानन में आ पहुंची. पूछ-ताछ शुरू हुई.
“कौन लोग थे? झगड़ा किस बात पर हुआ था?”
“साहब, एक कार में तीन-चार लोग आये. कोई फ्लैट देखने आये थे. मैंने कहा की गाड़ी अंदर लाने की अनुमति नहीं है, गाड़ी बाहर खड़ी करो, तो मुझे गाली देने लगे. मैंने कह कि गाली मत दो, सचिव साहब से बात करो तो मुझे थप्पड़ मार दिया.”
“कौन सा फ्लैट देखने आये थे?”
“वह नहीं बताया. पार्किंग को लेकर ही झगड़ा शुरू हो गया.”
“कौन लोग थे? कुछ नाम, पता तो पूछा होगा तुमने? क्यों? बोलो.”
“वह तो आते ही गाली-गलोच पर उतर आये, मारपीट शुरू कर दी. नाम-पता पूछ ही न पाया.”
“कार का नंबर तो देखा होगा? क्या नंबर था?” पुलिसवाला थोड़ा झुंझला रहा था.
“लाल रंग की कार थी, नई, शायद होंडा सिटी, पर नंबर नहीं देख पाये.”
“तुम क्या कर रहे थे? तुमने क्या देखा?” पुलिस वाले ने दूसरे चौकीदार से पूछा.
“मैंने तो सर झटपट सेक्रेटरी साहब को फोन कर दिया.”
“और क्या जानते हो उनके बारे में?” पुलिसवाले ने निराशा से पूछा.
“सर, वह सब चोर थे, पक्के चोर. गारंटी से कह सकता हूँ,” दूसरे चौकीदार ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा.
“अरे, यह तुमने कैसे जान लिया कि वह सब चोर थे? तुम जानते हो उन लोगों को? तुम्हारा मेलजोल है उनके साथ?” पुलिस वाले ने आश्चर्य से पूछा.  
अवैतनिक सचिव महोदय और अन्य लोग, जो वहां एकत्र थे और यह वार्तालाप सुन रहे थे, चौकीदार की बात समझ न पाये. सब के सब चकरा गये.
“नहीं सर, मैं उनको बिल्कुल नहीं जानता. मेरा उनके साथ कोई लेनदेन नहीं है.” चौकीदार थोड़ा घबरा गया.
“फिर कैसे जाना तुमने कि वह लोग चोर थे? कौन थे वह? बोलो,” पुलिस वाला थोड़ा गुस्से से बोला.
“सर, सूट-बूट पहने थे, सब के सब सूट-बूट पहने थे.”
“क्या कह रहे हो तुम?” पुलिसवाले ने खीज कर पूछा.
“सर, न्यूज़ में बता रहे थे आज.   चोर सूट-बूट पहनते हैं.....”
तभी सोसाइटी के प्रेसिडेंट, सूट-बूट पहने, अपने परिवार के साथ बाहर से आये.
उन्हें देख कर किसी ने चुटकी ली, “सूट-बूट पहनना जी का जंजाल  होने वाला है.”
“यहाँ तो सभी सूट-बूट पहनते ही हैं, कभी न कभी,” किसी दूसरे ने कहा.
“सभी चोर हैं.” किसी तीसरे ने कहा.
सब एक दूसरे का मूहं ताकने लगे.

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2 comments:

  1. Good thing we retired. Don't have to wear the fancy dress every working day in winter.

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